2022 में उपेक्षा का शिकार, 2023 में जीर्णोद्वार की दरकार
जिले के पर्यटन स्थलों को 2023 से बंधी बड़ी उम्मींदे
दशको से नहीं की गई मरम्मत, जीर्ण-शीर्ण होकर खो रहे अपना मूल स्वरुप
बालाघाट. समाप्त हुए सदी के वर्ष 2022 के बाद अब नए वर्ष 2023 से सभी को काफी उम्मींदें है। ऐसे में जिले के पर्यटन स्थलों को भी 2023 में विकास की दरकार है। दशकों से मरम्मतीकरण नहीं होने के कारण ऐसे पर्यटन स्थल अपना मूल स्वरूप खोकर इतिहास के पन्नों में सिमटने की कगार पर पहुंच गए हैं। वर्षो से शासन-प्रशासन के उपेक्षा पूर्ण रवैए के कारण इनका जीर्णोद्वार नहीं हो पाया है। परिणाम स्वरूप पर्यटन स्थलों के अस्तिव पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
हालाकि अब सरकार की ओर से भी पर्यटन को बढ़ावा देने के संकेत दिए जा रहे हैं। बीतें वर्ष 2022 में इनके जीर्णोद्वार को लेकर काफी कुछ चर्चाएं और रूपरेखा भी तैयार की गई। इस कारण जिले के पर्यटन को 2023 वर्ष काफी उम्मींदे हैं।
पर्यटन स्थलों की अपार संभावनाए
जिले में पर्यटन स्थलों की भरमार है। पर्यटन स्थलों की गिनती करें तो हालहि में जिला प्रशासन ने कान्हा नेशनल पार्क के पास लगमा में बैगा संस्कृति को बढ़ावा देने बैगा हॉट बाजार शुरु किया है। जिसमें वर्तमान में अपेक्षाकृत काम नहीं हो पाया है। लेकिन इस दिशा में यदि सही से प्रयास किए जाए तो जिले के बैगा आदिवासी व उनकी संस्कृति को नई पहचान मिल सकती है। इसी तरह गर्रा के वॉटनिकल गायडन, बजरंगघाट, गांगुलपारा झरना, डूटी डेम, हट्टा की बावली, लांजी का किला, खराड़ी बांध, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मुख्य है। यहां हर त्यौहारों व छुट्टीयों के दिनों में पर्यटकों का तांता लग जाता है। इन पर्यटन स्थलों में प्राकृतिक छटा को देखने जिले सहित अन्य जिलों और राज्यों के टूरिस्ट भी आया करते हैं। अब वर्ष 2023 में इन पर्यटन स्थल विकास के किन आयामों को छू पाते हैं, इस पर सबकी उम्मींदें व नजरें है।
जिले के पर्यटन स्थालों के जीर्णोद्वार और उनके मरम्मतीकरण और साफ-सफाई के लिए प्रस्ताव बनाकर हमारे द्वारा भेजे जाते हैं। लेकिन आवंटन प्राप्त नहीं होने से कार्य नहीं हो पा रहे हैं। अब नए वर्ष 2023 से काफी उम्मीदें है। यदि आवंटन प्राप्त होता है, तो निश्चित ही ये पर्यटन स्थल जिले को देश विदेशों मेंनई पहचान दिलाएंगे।
वीरेन्द्र सिंह गहरवार, अध्यक्ष पुरातत्व विभाग